पंजाब का जिक्र तक न करने से केंद्र का पंजाब विरोधी चेहरा नंगा हुआ
केंद्र का बजट को ‘दो का विकास, बाकी सबका सत्यानाश’
नयी दिल्ली/ संगरूर/ बरनाला, 26 जुलाई
केंद्रीय बजट को पंजाब को ‘बेगानापन का अहसास’ करवाने वाला बजट इकरार देते हुए लोक सभा मैंबर गुरमीत सिंह मीत हेयर ने आज कहा कि इस बजट में पंजाब का जैसे तक भी नहीं किया गया जिससे भाजपा का नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने पंजाबियों की देश प्रति महान बलिदान को मिट्टी में मिला दिया है।
आज यहाँ लोक सभा के इजलास में बजट पर बहस में हिस्सा लेते हुए आम आदमी पार्टी के संगरूर से संसद मैंबर मीत हेयर ने सख़्ती से कहा कि बजट की कापी पढ़ कर ऐसा महसूस होता है जैसे पंजाब इस देश का हिस्सा ही न हो। उन्होंने केंद्र सरकार को सवाल करते हुए कहा कि पंजाबियों को कम से-कम इस बात का ही जवाब दे दो कि केंद्र सरकार पंजाब के साथ इतनी नफ़रत क्यों करती है। पंजाब के किसानों ने देश को भुखमरी में से निकाला और देश की रक्षा के लिए हमारे युवाओं ने प्राण न्योछावर किए है परन्तु हमें सम्मान देने की बजाय केंद्र सरकार बेगानापन वाला व्यवहार अपना रही है।
गुरमीत सिंह मीत हेयर ने भावुक होते कहा, ” देश को अनाज पक्ष से आत्म निर्भर बनाने के लिए बहुत बड़ी कीमत उठानी पड़ी है। हमारे बेशकीमती प्राकृतिक स्रोत पानी और ज़मीन भी तबाह हो गए। लोक गंभीर बीमारियों का शिकार हो गए। ” इस सबके बावजूद पंजाब को बजट में से महरूम रखा गया जिससे केंद्र सरकार का पंजाब विरोधी चेहरा नंगा हुआ है।
पंजाब का पक्ष ज़ोरदार ढंग से पेश करते हुए संसद मैंबर ने कहा कि यदि केंद्र सरकार के मन में पंजाब के किसानों और जवानों के बलिदान प्रति सम्मान है तो राज्य को विशेष पैकेज दिया जाए और उद्योग के लिए अलग तौर पर विशेष योजना बनाई जाए।
बजट में बाढ़ की रोकथाम के लिए पंजाब को छोड़ कर राज्य को फंड देने की व्यवस्था का तीखा विरोध करते संसद मैंबर ने कहा कि हमारे पड़ोसी पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश में जब भी भारी बारिश पड़ता है तो तबाही पंजाब में होती है। उन्होंने बताया कि पिछले साल बाढ़ कारण पंजाब की बहुत सारी उपजाऊ ज़मीन इतनी ज़्यादा बर्बाद हो चुकी है कि दो दशकों तक किसान खेती नहीं कर सकते।
केंद्रीय बजट को किसान, युवाओं, महिलाओं और गरीब विरोधी बजट बताते मीत हेयर ने कहा कि इस बजट में फसलों पर एम.एस.पी.की व्यवस्था तो क्या करनी थी बल्कि खाद्य की सब्सिडी में 27 प्रतिशत कटौती कर दी गई जिससे किसानों की आमदन और कम हो जाएगी। उन्होंने कहा कि नरेगा योजना ग्रामीण गरीब महिलाओं के रोज़गार का मुख्य साधन है जबकि केंद्र सरकार ने इस स्कीम का बजट भी घटा दिया है। उन्होंने कहा कि युवाओं के लिए बजट में कटौती करने के साथ देश के विकास को बड़ी चोट लगेगी।
मीत हेयर ने केंद्रीय बजट पर तीखा व्यंग्य करते इसको ‘ दो का विकास, बाकी सबका सत्यानाश’ इकरार दिया। मीत हेयर ने कहा कि यह बजट सही मायनों में कुर्सी बचाने के लिए ‘ मजबूरी का बजट’ है जिस में भाईवालों को खुले फंड दिए गए जबकि अन्य राज्यों को बिल्कुल ही भुला दिया गया। सांसद मैंबर ने भाजपा पर चुटकी लेते कहा, ” भला हुआ कि भाजपा की 240 सीटें आ गई, यदि इससे भी कम आतीं तो पता नहीं और कितने भाजपा के हिस्सेदार बनते जिसके साथ उनको खुश करने के लिए बजट में से शिक्षा, सेहत और विकास के फंडों में कटौती करनी पडनी थी। “
केंद्र सरकार द्वारा 85 करोड़ लोगों को मुफ़्त अनाज बाँटने का मजाक उडाते मीत हेयर ने कहा कि इसमें कोई प्रशंसा वाली बात नहीं जब लगभग 130 करोड़ की आबादी वाले देश में 85 करोड़ लोग अभी भी मुफ़्त राशन लेते हों। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को तो उल्टा शर्म आनी चाहिए कि अभी भी देश की ज्यादा जनसंख्या गरीब है। देश की मौजूदा स्थिति का जिक्र करते संसद मैंबर ने कहा कि ग्लोबल हैपीनैस इंडकस ( लोगों के खुशगवार जीवन की सूची) में भारत 126वें स्थान पर पहुँच गया है जबकि साल 2016 में देश 118वें स्थान पर था। इसी तरह ग्लोबल हंगरी इंडैक्स में भारत का 125 मुल्कों में से 111वें स्थान है और यहाँ तक कि हमारे पड़ोसी देश भी हमसे आगे निकल गए है।