महल कलां, 8 सितम्बर (डा. मिठ्ठू मुहम्मद) –
जब पंजाब के खेत पानी में डूब गए, घरों की दीवारें गिर गईं और बच्चों के खेलने वाले मैदान मौत की खामोशियों में बदल गए, तब सिर्फ़ पंजाब ही नहीं रोया – पूरे भारत ने पंजाब के दुख में साझेदारी की।
“एती मार पई कुरलाणा तां की दर्द ना आया” — श्री गुरु नानक साहिब जी के यह अमर वचन आज पंजाब के बाढ़-पीड़ित लोगों के ज़ख्मों से टपकते दर्द के साथ सच होकर उतर रहे हैं।
आज महल कलां की जामा मस्जिद में ऐसा दृश्य देखने को मिला, जिसने हर दिल को भावुक कर दिया।
मुस्लिम, सिख, हिन्दू समुदाय एक साथ एक मंच से रब्ब के आगे प्रार्थना कर रहे थे कि – “हे सच्चे पातशाह, सोहणे अल्लाह, अपनी रहमत से पंजाब को इस कहर से बचा ले।” इस अरदास/दुआ/प्रार्थना के दौरान कई आंखें आंसुओं से भीग गईं।
मस्जिद के प्रधान मोहम्मद अकबर और सोनी सरोए महल कलां ने बताया कि उत्तर प्रदेश के मशहूर बुलंदशहर के कस्बा खानपुर गंन्टू के निवासी नौजवान मुस्लिम नेता मुदस्सर कुरैशी ने अपने तरफ़ से ख़ास पंजाब के लिए सहायता भेजकर मीठे चावल का लंगर लगाया। उन्होंने भावुकता से बताया कि पंजाब के लोगों के साथ हमदर्दी के तौर पर उनके इलाके में बुज़ुर्ग औरतों ने अपने गहने बेचकर पंजाब के लिए मदद भेजी है। इसी तरह कई परिवारों ने घरों से 10, 20, 50, 100, 200, यहाँ तक कि 500 रुपये तक इकट्ठा कर सहायता के लिए भेजे।
एक छोटे बच्चे ने अपनी गुल्लक तोड़कर उसमें से निकले सिक्के पंजाब के बाढ़-पीड़ितों के लिए भेज दिए।
ऐसी सच्ची घटनाओं ने पूरे देश को इंसानियत का पाठ पढ़ाया।
सुबाई मुस्लिम नेता डा. मिठ्ठू मुहम्मद (सूबा प्रेस मीडिया इंचार्ज, मेडिकल प्रैक्टिशनर एसोसिएशन पंजाब, रजि. 295) ने बताया कि पिछले 20 दिनों से एसोसिएशन के हज़ारों डॉक्टर अपने घर-परिवार छोड़कर बाढ़-प्रभावित इलाकों में फ्री मेडिकल कैंपों पर दिन-रात सेवा कर रहे हैं।
मेडिकल एसोसिएशन के ये डॉक्टर बाढ़ पीड़ित परिवारों के बीमार बच्चों के इलाज से लेकर बुजुर्गों की दवाइयों तक, इन फ्री मेडिकल कैंपों पर सारी सुविधाएँ मुफ़्त दे रहे हैं।
इस समय पंजाब की धरती ने एक बड़ा संदेश भी दिया है कि सियासी रोटियाँ सेकने वालों से इंसानियत की सेवा की ताकत बहुत बड़ी है। यह गुरुओं और पीरों की धरती है, जहाँ हमेशा नफ़रतें नहीं, बल्कि एकता, प्यार और सेवा पलती है।
इकट्ठ को संबोधित करते हुए सरपंच सरबजीत सिंह शम्भू और सरपंच किरणा रानी के नौजवान सुपुत्र अरुण बांसल ने कहा कि बाढ़ ने पंजाब को भले ही ज़ख्म दिए हैं, लेकिन इस धरती के लोगों ने साबित कर दिया है कि जब भी कोई विपदा आती है, हमारी एकता, हमारी भाईचारे की ताकत और हमारी इंसानियत ही हमें बचाती है।
इस मौके पर सरपंच सरबजीत सिंह संधू, सरपंच किरणा रानी के सुपुत्र अरुण बांसल, गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान बाबा शेर सिंह, जामा मस्जिद के इमाम कारी मुहम्मद अय्यूब, मस्जिद महल कलां के प्रधान मुहम्मद अकबर, सोनी सराए महल कलां, सुबाई मुस्लिम नेता डा. मिठ्ठू मुहम्मद, डॉक्टर मजीद मुहम्मद, डा. काका (महल कलां), फिरोज़ खान (महल खुर्द), मुहम्मद सतार, मुहम्मद अरशद, डा. कैसर खान, अकबर खान, नज़ीर मुहम्मद, सुरिंदर कुमार, मित्तू उर्फ काला, भोला खान, नसीब खान आदि सहित बड़ी संख्या में गांव के लोग मौजूद थे।
डा. कैसर खान ने कहा कि अलग-अलग सूबों से और ख़ासकर पंजाब के अलग-अलग शहरों और मालेरकोटला शहर के समूचे मुसलमानों द्वारा निभाई गई सेवा – बाढ़ पीड़ितों के लिए रसदों की गाड़ियां भर-भर कर भेजना – इस बात की गवाही देता है कि मुस्लिम समुदाय हमेशा ही अपने लोगों के साथ खड़ा है।
एकत्र हुए अलग-अलग धर्मों के लोगों का मुहम्मद अरशद ने धन्यवाद किया।